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कविता

एक रूम पार्टनर की तलाश

अंकिता रासुरी


एक खाली पड़ा बिस्तर
औंधे मुह गिरी हुई पानी की बोतल
और झाड़ू को मुँह चिढ़ाता हुआ
बेतरतीब सा फैला हुआ कमरा
मजे के साथ-साथ बोर भी करता है
मैं अब तलाशने लगी हूँ एक रूम-पार्टनर
पर दिक्कत एक ही है
एक मँझोले शहर में
कहाँ ढूँढ़ा जाए
रूम-पार्टनर
एक लड़का
जी हाँ लड़का
और एक किराए का घर
जहाँ रह सके
एक लड़का एक लड़की
बिना प्रेम के भी

 


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